Categorization

Services

Book an Appointment

We are always happy to help you! Book your online consultation today and take the first step toward a healthy and joyful parenthood journey. 🌿👶

Schedule Your Appointment Now!

Our Vision

माँ का गर्भ ही है शिशु की प्रथम पाठशाला

गर्भ संस्कार – माँ के गर्भ में ही संस्कारों और ज्ञान का बीजारोपण : गर्भ संस्कार भारतीय संस्कृति की एक दिव्य और वैज्ञानिक पद्धति है, जिसके माध्यम से माता-पिता अपने गर्भस्थ शिशु के मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। यह सिद्ध हो चुका है कि माँ के विचार, भावनाएँ और वातावरण गर्भ में पल रहे शिशु पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

अभिमन्यु और चक्रव्यूह का ज्ञान – गर्भ संस्कार का दिव्य उदाहरण

महाभारत में वर्णित अभिमन्यु की कथा गर्भ संस्कार की महत्ता को दर्शाने वाला एक उत्कृष्ट उदाहरण है। जब माता सुभद्रा गर्भवती थीं, तब अर्जुन ने उन्हें युद्ध की रणनीतियों और चक्रव्यूह में प्रवेश करने की विधि समझाई। गर्भ में पल रहे अभिमन्यु ने अपने पिता की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और चक्रव्यूह को भेदने की कला सीख ली। लेकिन जैसे ही अर्जुन चक्रव्यूह से बाहर निकलने का तरीका समझाने लगे, सुभद्रा को नींद आ गई और अभिमन्यु उस ज्ञान को पूरा नहीं सीख सका। यह कथा प्रमाणित करती है कि गर्भ में पल रहा शिशु सुन सकता है, समझ सकता है और सीख सकता है।

माता जिजाबाई के गर्भ संस्कार और शिवाजी का राष्ट्रभक्त व्यक्तित्व

छत्रपति शिवाजी महाराज का वीरतापूर्ण, राष्ट्रभक्ति और धर्मपरायणता से भरा जीवन केवल संयोग नहीं था। उनकी माता जिजाबाई ने अपने गर्भकाल में ही उन्हें एक महान योद्धा, न्यायप्रिय राजा और सच्चे राष्ट्रभक्त के रूप में गढ़ने की नींव रखी।

गर्भ में ही राष्ट्रभक्ति और साहस की भावना

जब जिजाबाई गर्भवती थीं, तब उन्होंने रामायण, महाभारत और अन्य धर्मग्रंथों का पाठ किया, जिससे उनके गर्भ में पल रहे शिवाजी को धर्म और निष्ठा के संस्कार मिले।

स्वतंत्रता और स्वराज्य की शिक्षा:

जिजाबाई स्वयं एक वीरांगना थीं। उन्होंने मराठा स्वराज्य की महत्ता और स्वतंत्रता की भावना को अपने विचारों में रखा, जिससे शिवाजी को स्वराज्य की प्रेरणा गर्भ में ही मिली।

धार्मिकता और नैतिक मूल्यों की सीख:

शिवाजी को न्यायप्रिय, धार्मिक और सत्यनिष्ठ राजा बनाने में जिजाबाई के गर्भ संस्कारों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने गर्भकाल के दौरान ईश्वर की भक्ति, नैतिकता और सेवा की भावना को अपनाया।

Towards Product and Services

Product Assurance